खुरापाती बन्दर की कहानी

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एक जंगल में लकड़ी काटने एवं चीरने का काम चल रहा था। काम बहुत बाकी था दिन भर मजदूर काम में लगा रहता था। एक दिन मजदूर लोंग लकड़ी चीर रहा था दिन के 1 बज गये थे। सब लोंग खाना खाने गांव चल दिए।

एक लकड़ी अधूरा चीरा हुआ था उस में मजदूरों ने एक लकड़ी का कील डाल के चला गया था। ऊपर पेड़ पर दो-चार बंदर रहता था उस में से एक बंदर बहुत बदमाश था उसने देखा की सब लोग चले गये है।

बंदर पेड़ निचे उतरा और इधर-उधर उछल कूद करने लगा। कभी आरी को पटकता तो कभी कुल्हाड़ी को, खेलते कूदते उस बंदर की नजर अध चिरे लकड़ी में फसे लकड़ी के कील पर परा।

बंदर ने लकड़ी पे बैठ कर उस कील को हिलाने लगा। कील को हिलाते उसे बहुत मजा आ रहा था थोड़ी देर में लकड़ी से कील हट गया। कील हटा की बंदर का पूछ लकड़ी में फँस गया बंदर छरपटाने लगा। बन्दर खूब कोशिश किया पूछ निकालने की पर उससे नहीं निकला।

कुछ देर में मजदूर लोग आये और उस बंदर की पूछ को लकड़ी से अलग किया।